हमारा अस्ति तंत्र ईश्वर की जटिल कारीगरी का एक उत्कृष्ट नमूना है जिसकी रूपरेखा अधिक से अधिक शक्ति गतिशीलता प्रदान करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई है । अस्थि तंत्र की प्रत्येक हड्डी की उसके कार्य के अनुरूप एक विशिष्ट आकृति होती है। एक व्यस्क मनुष्य के शरीर में 206 विभिन्न हड्डियां होती हैं इन सभी हड्डियों में से सबसे लंबी हड्डी जांघ की तथा सबसे छोटी हड्डी कान की होती है। अस्थि तंत्र हमारे शरीर के लिए ढांचे का कार्य करता है। विभिन्न शारीरिक गतिविधियों जैसे उठना-बैठना, चलना- फिरना आदि के अतिरिक्त अस्थि तंत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य शरीर के नाजुक अवयवों जैसे हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु इत्यादि की बाह्य आघातो से रक्षा करना है ।अस्थि तंत्र के उस भाग में जहां लचक की अधिक आवश्यकता होती है वहां हड्डियों का स्थान उपास्थि ले लेती है। वास्तव में हमारी हड्डियां मुड नहीं सकती किंतु जहां दो विभिन्न हड्डियां एक दूसरे से मिलती हैं वह संधि-स्थल कहलाता है संधि-स्थल पर हड्डियां अपनी जगह पर अस्थि- बंन्धको द्वारा मांसपेशियों द्वारा जमी होती है। संधि स्थल पर हड्डि
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